संगीत.............१२३
प्रीत
की कुंगली डोर सी छिन ये
प्रीत की कुंगली डोर सी छिन ये
पर्वत जनी कठोर भी छिन ये
हमरा पहाड़ों की नारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
संगीत.............१२३
बिन्सिरी बटी धाण्यू मा लगींन
सेणी खाणी सब हर्चिन
संगीत.............१२३
बिन्सिरी बटी धाण्यू मा लगींन
सेणी खाणी सब हर्चिन
करम ही धरम काम ही पूजा
यूं कै पसीन्यन हरी भरीन
पुन्गडी पटली हमारी
बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
संगीत.............१२३
बरखा बत्वाण्यून बणु मा रुझीं छिन
पुन्गड्यू मा घामन गाती उकीं छिन
संगीत.............१२३
बरखा बत्वाण्यून बणु मा रुझीं छिन
पुन्गड्यू मा घामन गाती उकीं छिन
सौ श्रृंगार क्या हूंद नि जाणी
फिफना फट्याँ छिन गलोड़ी तिड़ी छिन
काम का बोझ की मारी
बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
संगीत.............१२३
खैरी का आंसुल आँखी भरीं चा
मन मा रख्यां सभी धाणी मरीं चा
संगीत.............१२३
खैरी का आंसुन आँखी भरीं चा
मन मा रख्यां सभी धाणी मरीं चा
सरेली
घरमा टक परदेश
सांस चनी छिन आस लगीं चा
यूं की महिमा न्यारी
बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
संगीत.............१२३
दुःख बीमरी मा भी काम नि टाली
घर बण रुसडू यखुली समाली
संगीत.............१२३
दुःख बीमरी मा भी काम नि टाली
घर बण रुसडू यखुली समाली
सेंद नि पे कभी बिजदा नि देखी
रतब्याणू सूरीज भी यूंने बिजाली
यूं से विधाता भी हारी
बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
प्रीत की कुंगली डोर सी छिन ये
पर्वत जनी कठोर भी छिन ये
हमरा पहड़ों की नारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
प्रीत की कुंगली डोर सी छिन ये
पर्वत जनी कठोर भी छिन ये
हमरा पहाड़ों की नारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
संगीत.............१२३
बिन्सिरी बटी धाण्यू मा लगींन
सेणी खाणी सब हर्चिन
संगीत.............१२३
बिन्सिरी बटी धाण्यू मा लगींन
सेणी खाणी सब हर्चिन
करम ही धरम काम ही पूजा
यूं कै पसीन्यन हरी भरीन
पुन्गडी पटली हमारी
बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
संगीत.............१२३
बरखा बत्वाण्यून बणु मा रुझीं छिन
पुन्गड्यू मा घामन गाती उकीं छिन
संगीत.............१२३
बरखा बत्वाण्यून बणु मा रुझीं छिन
पुन्गड्यू मा घामन गाती उकीं छिन
सौ श्रृंगार क्या हूंद नि जाणी
फिफना फट्याँ छिन गलोड़ी तिड़ी छिन
काम का बोझ की मारी
बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
संगीत.............१२३
खैरी का आंसुल आँखी भरीं चा
मन मा रख्यां सभी धाणी मरीं चा
खैरी का आंसुन आँखी भरीं चा
मन मा रख्यां सभी धाणी मरीं चा
सांस चनी छिन आस लगीं चा
यूं की महिमा न्यारी
बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
संगीत.............१२३
दुःख बीमरी मा भी काम नि टाली
घर बण रुसडू यखुली समाली
संगीत.............१२३
दुःख बीमरी मा भी काम नि टाली
घर बण रुसडू यखुली समाली
सेंद नि पे कभी बिजदा नि देखी
रतब्याणू सूरीज भी यूंने बिजाली
यूं से विधाता भी हारी
बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
प्रीत की कुंगली डोर सी छिन ये
पर्वत जनी कठोर भी छिन ये
हमरा पहड़ों की नारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी
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